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📚 PhD, रिसर्च स्कॉलर और UGC-NET JRF पास करने वाले भी भर्ती परीक्षा में असफल! यह चौंकाने वाला तथ्य है कि केवल 10% उम्मीदवार ही 35% अंक प्राप्त कर पा रहे हैं। 😱

📚 PhD, रिसर्च स्कॉलर और UGC-NET JRF पास करने वाले भी भर्ती परीक्षा में असफल! यह चौंकाने वाला तथ्य है कि केवल 10% उम्मीदवार ही 35% अंक प्राप्त कर पा रहे हैं। 😱

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Satya Khabar,Panchkula

Recruitment exam : हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) की असिस्टेंट प्रोफेसर (अंग्रेजी) भर्ती परीक्षा के नतीजों से राज्य में बड़ा विवाद शुरू हो गया है। इस परीक्षा में PhD धारक, रिसर्च स्कॉलर और UGC-NET, JRF पास अभ्यर्थी बड़ी संख्या में फेल हो गए हैं। परीक्षा परिणाम 10% से भी कम रहा है। इस वजह से विज्ञापित 613 पदों में से 462 पद खाली रह गए हैं। इस परिणाम ने हर किसी को चौंका दिया है। PhD धारक, रिसर्च स्कॉलर और UGC-NET, JRF पास अभ्यर्थियों के फेल होने का मामला सबसे गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

HPSC द्वारा आयोजित सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा परिणाम ने मूल्यांकन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले अभ्यर्थियों का 150 अंकों की वर्णनात्मक ‘विषय ज्ञान परीक्षा’ में न्यूनतम 35% अंक भी हासिल न कर पाना बड़ी बात है। इस साल लगभग 2,000 उम्मीदवारों ने यह परीक्षा दी थी. लेकिन केवल 151 उम्मीदवार ही न्यूनतम 35% क्वॉलिफाइंग स्कोर हासिल कर पाए। इस परिणाम के बाद अनुत्तीर्ण उम्मीदवारों ने अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखने की मांग करते हुए आयोग के मूल्यांकन पर संदेह जताया है।
इस मामले में सबसे ज्यादा रोष
आरक्षित श्रेणियों SC, BCA, EWS के उम्मीदवारों में देखा जा रहा है। इन वर्गों में से चयन न के बराबर हुआ है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि इस परिणाम ने न केवल संवैधानिक आरक्षण ढांचे को कमजोर किया है, बल्कि मूल्यांकन प्रणाली में गंभीर त्रुटियों की तरफ भी इशारा किया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रभावित छात्रों से सीधे संपर्क करने का आग्रह किया है और किसी भी विसंगति को दूर करने का आश्वासन दिया है। आयोग इस परिणाम को ‘पारदर्शी और निष्पक्ष’ बता रहा है।

चौंकाने वाले नतीजे

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हरियाणा लोक सेवा आयोग ने अंग्रेजी सहायक प्रोफेसर के 613 पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसके नतीजे बहुत निराशाजनक रहे हैं। इस परीक्षा में लगभग 2,000 उम्मीदवार शामिल हुए थे, लेकिन इनमें से केवल 151 ही 150 अंकों की वर्णनात्मक (Descriptive) ‘विषय ज्ञान परीक्षा’ में न्यूनतम 35% अंक हासिल कर पाए। इस कम पास दर के कारण 613 विज्ञापित पदों में से 462 पद रिक्त रह गए हैं, जो कुल पदों का लगभग तीन-चौथाई है। यह बेहद कम चयन दर राज्य की शिक्षण संस्थाओं के लिए बड़ी समस्या पैदा कर रहा है।

High Qualified उम्मीदवार फेल

भर्ती परीक्षा परिणाम में फेल उम्मीदवारों की लिस्ट में PhD धारक, रिसर्च स्कॉलर, UGC-NET और JRF जैसी उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले अभ्यर्थी शामिल हैं। कई उम्मीदवारों ने इस रिजल्ट पर संदेह जताया है। उनका कहना है कि JRF के साथ UGC-NET पास करने वालों को इस परीक्षा में असफल घोषित कैसे किया जा सकता है? इतने मेधावी छात्र 35% अंक भी कैसे प्राप्त नहीं कर पाए? इसीलिए वे अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखना चाहते हैं। यह मांग मूल्यांकन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सीधे सवाल उठाती है।

आरक्षित श्रेणी वालों ने उठाए सवाल

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इन नतीजों ने आरक्षित श्रेणियों SC, BCA, EWS के उम्मीदवारों को खास तौर पर आहत किया है क्योंकि इन कैटेगरी में से बमुश्किल किसी का चयन हुआ है। कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाया है कि इस परिणाम ने संवैधानिक आरक्षण ढांचे का सिद्धांत कमजोर किया है और यह त्रुटिपूर्ण मूल्यांकन प्रणाली का परिणाम है। राज्यभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जिसमें छात्र अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांच और परिणाम में सुधार की मांग कर रहे हैं।

HPSC ने बताया क्यों हुए फेल

हरियाणा प्रोफेसर भर्ती परीक्षा परिणाम को लेकर बढ़ते असंतोष के बीच हरियाणा लोक सेवा आयोग के अधिकारियों ने अपनी मूल्यांकन प्रक्रिया को ‘पारदर्शी और निष्पक्ष’ बताया है. अधिकारियों ने कम पास दर का कारण 2022 में शुरू किए गए वर्णनात्मक प्रारूप (Descriptive Format) के तहत उम्मीदवारों के ‘कमजोर लिखित कौशल’ को बताया है। आयोग का कहना है कि उनके परिणाम में कोई गड़बड़ी नहीं है। उनके मुताबिक, उम्मीदवारों की लिखावट में ही कमी है।

मुख्यमंत्री ने दिया आश्वासन

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हरियाणा प्रोफेसर भर्ती परीक्षा परिणाम पर विवाद गहराने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हस्तक्षेप किया है। उन्होंने छात्रों को सीधे उनसे संपर्क करने का आग्रह किया है। सीएम ने आश्वासन दिया है कि अगर किसी भी प्रकार की विसंगति सिद्ध होती है तो उससे गंभीरता से निपटा जाएगा। अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप और आयोग द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं के प्रदर्शन पर टिकी हैं, जो इस बड़े शैक्षणिक विवाद का समाधान कर सकता है।

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